"ଆମେରିଗୋ ଭେସପୁଚି" ପୃଷ୍ଠାର ସଂସ୍କରଣ‌ଗୁଡ଼ିକ ମଧ୍ୟରେ ତଫାତ

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== ପରିଚୟ ==
== ପରିଚୟ ==
ଆମେରିଗୋ ଭେସପୁସିଙ୍କ ଜନ୍ମ ଫ୍ଳୋରେନ୍ସ ସହରରେ ହୋଇଥିଲା । ସେ ଥିଲେ ପିତା ସେର ନାଷ୍ଟାଜିଓ ଏବଂ ମାତା ଲିସାବେଟା ମିନିଙ୍କର ତୃତୀୟ ସନ୍ତାନ । କକା ଜର୍ଜିଆ ଆଣ୍ଟୋନିଓ ଭେସପୁସିଙ୍କ ଦ୍ଵାରା ସେ ଶିକ୍ଷା ଲାଭ କଲାପରେ ସେ '''ଫ୍ଳୋରେଣ୍ଟାଇନ ହାଉସ ଅଫ ମେଡିସି''' ନାମକ କମ୍ପାନୀରେ ଜଣେ କିରାଣୀ ଭାବେ ଯୋଗ ଦେଲେ । ଏହି ସମୟରେ ତାଙ୍କର ଭୂଗୋଳ ତଥା ଜ୍ୟୋତିଷ ସମ୍ପର୍କରେ ପଢିବା ପାଇଁ ଆଗ୍ରହ ବଢିଲା । ଫଳରେ ସେ ରେଖାଚିତ୍ର ତଥା ର୍ଜ୍ୟାତିଷ ଶାସ୍ତ୍ରରେ ପ୍ରଭୂତ ଜ୍ଞାନ ଆହରଣ କରିପାରିଥିଲେ ସେ ସମୟରେ का कार्य करने के काल में इनकी अभिरुचि भूगोल के अध्ययन तथा ग्लोब, रेखाचित्र एवं मानचित्रों के संग्रह में लगी और क्रमश: ये कुशल मानचित्रकार भी बन गए। १४८९ ई. तथा १४९१ ई. के बीच ये मेडिसी के प्रतिनिधि स्वरूप किसी महत्वपूर्ण कार्यवश बारसेलोना भेजे गए। १४९३ ई. में इनका संबंध जानतो वेरार्डी (Giannetto Berardi) के सेविल स्थित व्यापारगृह से हो गया। वेरार्डी स्पेन के राजा के अधीन था। सेविल स्थित व्यापारगृह ऐटलान्टिक महासागर के आरपार अभियान करनेवाले पोतों के निर्मण का ठेका लेता था। जानोतो की मृत्यु के पश्चात् उसके काम को वेस्पूचि ने सँभाला और इस प्रकार संभवत: कोलम्वस की दूसरी समुद्री यात्रा के लिए पोतनिर्माण में सेस्पूचि ने हाथ बटाया।
ଆମେରିଗୋ ଭେସପୁଚିଙ୍କ ଜନ୍ମ ଫ୍ଳୋରେନ୍ସ ସହରରେ ହୋଇଥିଲା । ସେ ଥିଲେ ପିତା ସେର ନାଷ୍ଟାଜିଓ ଏବଂ ମାତା ଲିସାବେଟା ମିନିଙ୍କର ତୃତୀୟ ସନ୍ତାନ । କକା ଜର୍ଜିଆ ଆଣ୍ଟୋନିଓ ଭେସପୁସିଙ୍କ ଦ୍ଵାରା ସେ ଶିକ୍ଷା ଲାଭ କଲାପରେ ସେ '''ଫ୍ଳୋରେଣ୍ଟାଇନ ହାଉସ ଅଫ ମେଡିସି''' ନାମକ କମ୍ପାନୀରେ ଜଣେ କିରାଣୀ ଭାବେ ଯୋଗ ଦେଲେ । ଏହି ସମୟରେ ତାଙ୍କର ଭୂଗୋଳ ତଥା ଜ୍ୟୋତିଷ ସମ୍ପର୍କରେ ପଢିବା ପାଇଁ ଆଗ୍ରହ ବଢିଲା । ଫଳରେ ସେ ରେଖାଚିତ୍ର ତଥା ଜ୍ୟୋତିଷ ଶାସ୍ତ୍ରରେ ପ୍ରଭୂତ ଜ୍ଞାନ ଆହରଣ କରିପାରିଥିଲେ ଏବଂ ଜଣେ କୁଶଳୀ ମାନଚିତ୍ରକାର ମଧ୍ୟ ହୋଇପାରିଲେ ସେ ସମୟରେ ଅର୍ଥାତ ୧୪୯୨ ମସିହାରେ ତାଙ୍କୁ ମେଡିସି କମ୍ପାନୀ ନିଜ ପ୍ରତିନିଧୀ ଭାବେ ଏହାର ଏକ ଶାଖା କାର୍ଯ୍ୟାଳୟର ଏକ ମହତ୍ତ୍ଵପୂର୍ଣ୍ନ ଅନୁସନ୍ଧାନ କାର୍ଯ୍ୟରେ ତାଙ୍କୁ ବାର୍ସୀଲୋନା ପଠାଇଥିଲେ १४९३ ई. में इनका संबंध जानतो वेरार्डी (Giannetto Berardi) के सेविल स्थित व्यापारगृह से हो गया। वेरार्डी स्पेन के राजा के अधीन था। सेविल स्थित व्यापारगृह ऐटलान्टिक महासागर के आरपार अभियान करनेवाले पोतों के निर्मण का ठेका लेता था। जानोतो की मृत्यु के पश्चात् उसके काम को वेस्पूचि ने सँभाला और इस प्रकार संभवत: कोलम्वस की दूसरी समुद्री यात्रा के लिए पोतनिर्माण में सेस्पूचि ने हाथ बटाया।


वेस्पूचि, की समुद्रयात्राएँ १४९७-१५०५ ई. की अवधि में हुईं। मई, १४९९ ई. तथा जून, १५०० ई. के बीच स्पेन के अभियान में विस्पूचि ने नाविक की हेसियत से भाग लिया। इस यात्रा में एमाज़ान का मुहाना, ओरिनीको का मुहाना आदि का पता लगा। वेस्पूचि ने समझा कि वे सुदूर पूर्व एशिया प्रायद्वीप का चक्कर लगा रहे हैं तथा इसके आगे एशिया के समुद्र मिलेंगे। १३ मई, १५०१ ई. को सिलोन (श्रीलंका) तथा हिंदमहासागर में पहुँचने के विचार से पुर्तगाल सरकार के तत्वावधान में इनका दूसरा अभियान हुआ। इसमें ये ब्राजील तट से होकर पैटागोनिय तट के आगे सान सूलिना (San Sulina) की खाड़ी के आसपास तक गए।
वेस्पूचि, की समुद्रयात्राएँ १४९७-१५०५ ई. की अवधि में हुईं। मई, १४९९ ई. तथा जून, १५०० ई. के बीच स्पेन के अभियान में विस्पूचि ने नाविक की हेसियत से भाग लिया। इस यात्रा में एमाज़ान का मुहाना, ओरिनीको का मुहाना आदि का पता लगा। वेस्पूचि ने समझा कि वे सुदूर पूर्व एशिया प्रायद्वीप का चक्कर लगा रहे हैं तथा इसके आगे एशिया के समुद्र मिलेंगे। १३ मई, १५०१ ई. को सिलोन (श्रीलंका) तथा हिंदमहासागर में पहुँचने के विचार से पुर्तगाल सरकार के तत्वावधान में इनका दूसरा अभियान हुआ। इसमें ये ब्राजील तट से होकर पैटागोनिय तट के आगे सान सूलिना (San Sulina) की खाड़ी के आसपास तक गए।


भौगोलिक अन्वेषणों के इतिहास में इस यात्रा का बड़ा महत्व है। इसके बाद वेस्पूचि तथा अन्य विद्वानों को इस बात का विश्वास हो गया कि उपर्युक्त भाग एशिया के नहीं वरन् नई दुनिया के हिस्से थे। १५०८ ई. में वेस्पूचि स्पेन के प्रमुख नाविक नियुक्त हुए। साथ ही साथ नए खोजे गए देशों एवं उन तक पहुँचने के रास्तों के नक्शे बनाने एवं विभिन्न पोत कप्तानों द्वारा प्रेषित आँकड़ों की तुलना एवं व्याख्या करने का काम भी इन्होंने सँभाला। यह कार्य ये अपने मृत्यु काल तक करते रहे।
भौगोलिक अन्वेषणों के इतिहास में इस यात्रा का बड़ा महत्व है। इसके बाद वेस्पूचि तथा अन्य विद्वानों को इस बात का विश्वास हो गया कि उपर्युक्त भाग एशिया के नहीं वरन् नई दुनिया के हिस्से थे। १५०८ ई. में वेस्पूचि स्पेन के प्रमुख नाविक नियुक्त हुए। साथ ही साथ नए खोजे गए देशों एवं उन तक पहुँचने के रास्तों के नक्शे बनाने एवं विभिन्न पोत कप्तानों द्वारा प्रेषित आँकड़ों की तुलना एवं व्याख्या करने का काम भी इन्होंने सँभाला। यह कार्य ये अपने मृत्यु काल तक करते रहे।

== ଆଧାର ==
== ଆଧାର ==
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୧୫:୦୫, ୫ ଜାନୁଆରୀ ୨୦୨୦ ଅନୁସାରେ କରାଯାଇଥିବା ବଦଳ

ଆମେରିଗୋ ଭେସପୁସି (ମାର୍ଚ୍ଚ ୯, ୧୪୫୪-ଫେବୃଆରୀ ୨୨, ୧୫୧୨) ହେଉଛନ୍ତି ଜଣେ ଇଟାଲିୟାନ ପରିବ୍ରାଜକ, ନାବିକ ତଥା ସୌଦାଗର । ତାଙ୍କର ପର୍ତ୍ତୁଗାଲ ଜଳଯାତ୍ରାରୁ (୧୫୦୧-୧୫୦୨) ଏହା ସ୍ପଷ୍ଟ ହେଲା ଯେ ବ୍ରାଜିଲ ଏବଂ ୱେଷ୍ଟ ଇଣ୍ଡୀଜ ଏହି ଦୁଇଟି ସ୍ଵତନ୍ତ୍ର ଦେଶ, ଏ ଦୁଇ ଦେଶ ଏସିଆ ମହାଦେଶର ଅନ୍ତିମ ପୂର୍ବ ପ୍ରାନ୍ତ ଦେଶରେ ଅନ୍ତର୍ଗତ ନୁହଁନ୍ତି; ଯାହାକି କଲମ୍ବସଙ୍କର ଜଳଯାତ୍ରା ପରେ ଅନୁମାନ କରାଯାଉଥିଲା । ତାଙ୍କରି ଜଳଯାତ୍ରରେ ଆବିଷ୍କୃତ ଦେଶଟି ଯାହାକି ନୂତନ ଜଗତ ନାମରେ ବର୍ଣ୍ଣିତ, ତାହ ପରବର୍ତ୍ତୀ ସମୟରେ ତାଙ୍କରି ନାମାନୁସାରେ ଆମେରିକା ନାମରେ ଖ୍ୟାତ ହେଲା ।

ପରିଚୟ

ଆମେରିଗୋ ଭେସପୁଚିଙ୍କ ଜନ୍ମ ଫ୍ଳୋରେନ୍ସ ସହରରେ ହୋଇଥିଲା । ସେ ଥିଲେ ପିତା ସେର ନାଷ୍ଟାଜିଓ ଏବଂ ମାତା ଲିସାବେଟା ମିନିଙ୍କର ତୃତୀୟ ସନ୍ତାନ । କକା ଜର୍ଜିଆ ଆଣ୍ଟୋନିଓ ଭେସପୁସିଙ୍କ ଦ୍ଵାରା ସେ ଶିକ୍ଷା ଲାଭ କଲାପରେ ସେ ଫ୍ଳୋରେଣ୍ଟାଇନ ହାଉସ ଅଫ ମେଡିସି ନାମକ କମ୍ପାନୀରେ ଜଣେ କିରାଣୀ ଭାବେ ଯୋଗ ଦେଲେ । ଏହି ସମୟରେ ତାଙ୍କର ଭୂଗୋଳ ତଥା ଜ୍ୟୋତିଷ ସମ୍ପର୍କରେ ପଢିବା ପାଇଁ ଆଗ୍ରହ ବଢିଲା । ଫଳରେ ସେ ରେଖାଚିତ୍ର ତଥା ଜ୍ୟୋତିଷ ଶାସ୍ତ୍ରରେ ପ୍ରଭୂତ ଜ୍ଞାନ ଆହରଣ କରିପାରିଥିଲେ ଏବଂ ଜଣେ କୁଶଳୀ ମାନଚିତ୍ରକାର ମଧ୍ୟ ହୋଇପାରିଲେ । ସେ ସମୟରେ ଅର୍ଥାତ ୧୪୯୨ ମସିହାରେ ତାଙ୍କୁ ମେଡିସି କମ୍ପାନୀ ନିଜ ପ୍ରତିନିଧୀ ଭାବେ ଏହାର ଏକ ଶାଖା କାର୍ଯ୍ୟାଳୟର ଏକ ମହତ୍ତ୍ଵପୂର୍ଣ୍ନ ଅନୁସନ୍ଧାନ କାର୍ଯ୍ୟରେ ତାଙ୍କୁ ବାର୍ସୀଲୋନା ପଠାଇଥିଲେ । । १४९३ ई. में इनका संबंध जानतो वेरार्डी (Giannetto Berardi) के सेविल स्थित व्यापारगृह से हो गया। वेरार्डी स्पेन के राजा के अधीन था। सेविल स्थित व्यापारगृह ऐटलान्टिक महासागर के आरपार अभियान करनेवाले पोतों के निर्मण का ठेका लेता था। जानोतो की मृत्यु के पश्चात् उसके काम को वेस्पूचि ने सँभाला और इस प्रकार संभवत: कोलम्वस की दूसरी समुद्री यात्रा के लिए पोतनिर्माण में सेस्पूचि ने हाथ बटाया।

वेस्पूचि, की समुद्रयात्राएँ १४९७-१५०५ ई. की अवधि में हुईं। मई, १४९९ ई. तथा जून, १५०० ई. के बीच स्पेन के अभियान में विस्पूचि ने नाविक की हेसियत से भाग लिया। इस यात्रा में एमाज़ान का मुहाना, ओरिनीको का मुहाना आदि का पता लगा। वेस्पूचि ने समझा कि वे सुदूर पूर्व एशिया प्रायद्वीप का चक्कर लगा रहे हैं तथा इसके आगे एशिया के समुद्र मिलेंगे। १३ मई, १५०१ ई. को सिलोन (श्रीलंका) तथा हिंदमहासागर में पहुँचने के विचार से पुर्तगाल सरकार के तत्वावधान में इनका दूसरा अभियान हुआ। इसमें ये ब्राजील तट से होकर पैटागोनिय तट के आगे सान सूलिना (San Sulina) की खाड़ी के आसपास तक गए।

भौगोलिक अन्वेषणों के इतिहास में इस यात्रा का बड़ा महत्व है। इसके बाद वेस्पूचि तथा अन्य विद्वानों को इस बात का विश्वास हो गया कि उपर्युक्त भाग एशिया के नहीं वरन् नई दुनिया के हिस्से थे। १५०८ ई. में वेस्पूचि स्पेन के प्रमुख नाविक नियुक्त हुए। साथ ही साथ नए खोजे गए देशों एवं उन तक पहुँचने के रास्तों के नक्शे बनाने एवं विभिन्न पोत कप्तानों द्वारा प्रेषित आँकड़ों की तुलना एवं व्याख्या करने का काम भी इन्होंने सँभाला। यह कार्य ये अपने मृत्यु काल तक करते रहे।

ଆଧାର